Saturday, September 28, 2019

हिन्दी कविता: तू बुरा है और बुरा ही मर जाएगा

तुझ में बसी अच्छाई वो न देख पाएगा,
तू बुरा है और बुरा ही मर जाएगा।

कहने को तो बोहोत कुच्छ कह जाएगा,
पर अंत में ज़िक़्र वही ग़लतियों का कर जाएगा।

इन ग़लतियों का बोझ फिर तुजे गलत कह जाएगा,
रावण कितना भी सन्मान करे सीता का मर्यादापुरुषोत्तम राम ही कहलाएगा।

तू फ़िक़्र मत कर इनके ज़िक्र का,
तू जो है वही तुजे ज़िन्दा रख पाएगा,

रिश्तो की अहेमियत या एहसान का बोझ,
पसंद तेरी तुजे कृष्ण या कर्ण बनाएगा।

क्या गलत क्या सही, वो तो ज़िन्दगी का सलीका तुजे बता देगा,
तुजे कुछ कहने की ज़रूरत नहीं वक़्त आने पर तेरा काम सब कुछ कह जाएगा।

तुझ में बसी अच्छाई वो न देख पाएगा,
तू बुरा है और बुरा ही मर जाएगा।

- अभिजीत मेहता

Books authored by Mr. Abhijeet Mehta
















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