Friday, June 5, 2020

मुझे अलग किया

किसी ने ख़ुदा के बन्दे कहके,
तो किसी ने गोड के बच्चे कहके,
किसी ने भगवान की औलाद कहके,
मुझे अलग किया।
मुझे अलग किया मेरे रंग, रूप, भाषा और ढांचे से,
हालांकि ख़ून तो मेरा भी लाल तेरा भी लाल,
तो तुझे क्यों है मुझसे इतना मलाल?

किसी प्रदेश में जाति से,
किसी में मुझे रंग से,
किसी में मुझे काम से,
तो किसी में हालात से,
जुदा रखा, अपमानित किया,
ख़फ़ा रखा,
मुझे अपने ख़्वाब और उम्मीदों से।

ये ग़ुरूर है तुझमे जो सत्ता का,
वो बस एक जुमला है नशे का,
तू आँख मुंद पड़ा हवेली में,
मैं तड़पता फ़िरता शिकार बना भूख-प्यास का।

ये लकीरे, ये हदे सब जायज़ रखले,
बस अपनले मुझे दिल को आज़ाद कर,
ख़ाली ख़ाली क्या जिएगा तू,
भेद समज के ही दिलो में रखले।

- अभिजीत मेहता
Books authored by Mr. Abhijeet Mehta











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