We are the writers who wants to revolutionize the society with our ideas and thoughts. We write what we feel and care for. We welcome new writers and new ideas which is aligned with our vision. We write on variety of topics but with single agenda of helping the society which ultimately result in our own improvement.
Sunday, October 27, 2019
Saturday, October 26, 2019
Sunday, October 20, 2019
Saturday, October 19, 2019
हिन्दी कविता : वो रास्तो पे चल रहे थे, मैं हवा में उड़ रहा था,
वो रास्तो पे चल रहे थे,
मैं हवा में उड़ रहा था,
वो बंध दरवाज़ों में मशहूर थे,
मैं खुले आसमान में बदनाम था।
वो थाली भर खाना फेंकते थे,
मैं दाना-दाना चुन खा लेता था,
वो ख़ुदा से बोहोत कुछ मांगते थे,
मैं बस बदन ढकने उनकी चढ़ाई चद्दर माँग लेता था।
वो कोसों मिल का सफर कर शांति की गुहार लगाते थे,
मैं वो माँ की गोद में सब सुख महसूस कर लेता था,
वो तरक़्क़ी का आहवान किया करते थे,
मैं तो बस अपना गुज़ारा करना चाहता था।
वो हररोज़ अपनो को धोखा दे परायों के दामन चूमते थे,
मैं परायों से मतलब निकल अपनो के दामन सजाता था,
वो सफेद कपड़ो में नँगा घुमा करते थे,
मैं नंगे बदन पे ईमान का रंग लगाए फिरता था।
वो अपने भगवान को खुदा के बंदों की शिकायत करते थे,
मैं तो इंसानियत में मज़हब ढूंढता फिरता था,
वो मशीन से इंसान भावनाओ का लहज़ा भूल गए थे,
मैं उसी लहज़े में ज़िन्दगी बिताया करता था।
वो जातिवाद और अस्पृष्यता की चोली उतारा करते थे,
मैं अपने लफ़्ज़ों से उनका सीना ढक लिया करता था,
किसी नुक्क्ड़ पे कोई भूखा इन्सान मिले,
तो उसे गले लगा ये नज़्म सुनाया करता था।
मैं जला कर दिल अपना कागज़ पे रूह उतारा करता था,
पसंद आए न आए एक शायर सा बस मैं सच लिखा करता था,
मैं सच लिखा करता हूँ।
- अभिजीत मेहता
Sunday, October 13, 2019
Saturday, October 12, 2019
Sunday, October 6, 2019
Saturday, October 5, 2019
Book Review: Lafz
Image Source: https://images-na.ssl-images-amazon.com/images/I/31i63bCCO0L._SX311_BO1,204,203,200_.jpg |
It is a collection of Hindi poems. I cannot write the detailed review about it because the author is my brother which makes my opinion a biased one. However, I request you to read it and write an honest review about it.
Thanks
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