ये जो नांपी है सड़कें अपने हाथों से बनाई,
अपने ही पैरो से वो याद रखा जाएगा,
सब याद रखा जाएगा।
ये जो कुचले गए है पटरियो पे,
जहां मजदूरी किया करते थे,
वो याद रखा जाएगा,
सब याद रखा जाएगा।
कभी आपके लिए बत्तीस पकवान बनाए,
वो पेट आज बूखा है,
वो याद रखा जाएगा,
सब याद रखा जाएगा।
अब स्मृति से शस्त्रो को तैयार किया जाएगा,
जिसकी बुनियाद सिर से टपकता पानी और,
पैरों के लहू होंगे,
अब याद रख के बदला लिया जाएगा,
हर चीज़ का हिसाब लिया जाएगा।
जिस किसान को सीधा मुनाफा दिखा,
हररोज़ सपने दिखाए जाते है,
उस किसान के हल से तेरा ज़मीर खितौरा जाएगा,
हर चीज का हिसाब लिया जाएगा।
पहले हमारे कंधों पे वोट मांगते,
अब हमारे ही कंधों को सहारा न दिया,
इस कंधे पे बंदूक रख बदला लिया जाएगा,
हर चीज़ का हिसाब लिया जाएगा।
कागज़ से कलमों तक जो सीमित थे,
उन विद्यार्थियों को जो जेल भेजा,
उसी जेल के सलियों से हथियार बनाए जाएंगे,
हर चीज़ का हिसाब लिया जाएगा,
अब याद रख के, हिसाब लिया जाएगा,
हिसाब लिया जाएगा।
- अभिजीत मेहता
लाल सलाम
अपने ही पैरो से वो याद रखा जाएगा,
सब याद रखा जाएगा।
ये जो कुचले गए है पटरियो पे,
जहां मजदूरी किया करते थे,
वो याद रखा जाएगा,
सब याद रखा जाएगा।
कभी आपके लिए बत्तीस पकवान बनाए,
वो पेट आज बूखा है,
वो याद रखा जाएगा,
सब याद रखा जाएगा।
अब स्मृति से शस्त्रो को तैयार किया जाएगा,
जिसकी बुनियाद सिर से टपकता पानी और,
पैरों के लहू होंगे,
अब याद रख के बदला लिया जाएगा,
हर चीज़ का हिसाब लिया जाएगा।
जिस किसान को सीधा मुनाफा दिखा,
हररोज़ सपने दिखाए जाते है,
उस किसान के हल से तेरा ज़मीर खितौरा जाएगा,
हर चीज का हिसाब लिया जाएगा।
पहले हमारे कंधों पे वोट मांगते,
अब हमारे ही कंधों को सहारा न दिया,
इस कंधे पे बंदूक रख बदला लिया जाएगा,
हर चीज़ का हिसाब लिया जाएगा।
कागज़ से कलमों तक जो सीमित थे,
उन विद्यार्थियों को जो जेल भेजा,
उसी जेल के सलियों से हथियार बनाए जाएंगे,
हर चीज़ का हिसाब लिया जाएगा,
अब याद रख के, हिसाब लिया जाएगा,
हिसाब लिया जाएगा।
- अभिजीत मेहता
लाल सलाम
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