न चाँद तारे की बाते थी,
न ऊँची उड़ानों के ख्वाब।
न कोई बड़े वादे थे,
न कोई तारीफ़ों से भरे ख़त।
न बुरी आदतों से अनजान थे,
न अच्छी आदतों की तारीफ़।
कुछ लफ़्ज़ों से ख़ामोशी मिली,
बस इतनी सी है हमारे इश्क़ की दास्तान।
- अभिजीत महेता
न ऊँची उड़ानों के ख्वाब।
न कोई बड़े वादे थे,
न कोई तारीफ़ों से भरे ख़त।
न बुरी आदतों से अनजान थे,
न अच्छी आदतों की तारीफ़।
कुछ लफ़्ज़ों से ख़ामोशी मिली,
बस इतनी सी है हमारे इश्क़ की दास्तान।
- अभिजीत महेता
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